Aparna Sharma

Add To collaction

लेखनी कहानी -19-May-2023

#१५ पार्ट सीरीज़ चैलेंज 

                 🕉️
*महादेव शिव शंकर की कथाएं और उनमें निहित ज्ञान व प्रामाणिकता*
पार्ट -१ 
*शंकर की उत्पत्ति की कथा*

ये कहानी शुरु होती है तब से जब परमात्मा शिव के अतिरिक्त ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था ! 
था केवल शून्य!  एक डार्कनेस!  फिर समय के साथ उस शून्य में से एक प्रकाश बिंदु का जन्म हुआ!  
ये प्रकाश बिंदु भी शिव ही थे ! फिर उस प्रकाश से कालांतर में ग्रह नक्षत्र बने ! जब सूर्य चंद्र बने तो सूर्य की शक्ति से और शिव की ऊर्जा से जल,अग्नि, वायु,गगन और धरा निर्मित हुए ! हालांकि दोनों ही एनर्जी शिव से ही जन्मी फिर भी दोनों को पृथक जान शिव-शक्ति या पुरुष और प्रकृति कह सकते हैं क्योंकि ब्रह्मांड की हर चीज़ दोनों के मिलन से ही बनी है! जैसे जल शिव तत्व है तो अग्नि शक्ति, दोनों के मिलन से रंग बने ! *ॐ* का नाद भी दोनों के आपस में टकराने से उत्पन्न हुआ!  मौसम बने ! 
  शिव 🕉️💥जो निराकार हैं को जब सृष्टि निर्माण की इच्छा उत्पन्न हुई तो उन्होंने सूर्य की शक्ति आदि शक्ति के साथ मिलकर ब्रह्मा विष्णु और महेश यानि शंकर की उत्पत्ति की! 

ब्रह्मा का रंग गेहुआ था ,विष्णु का सांवला और शंकर अत्यंत गौर वर्ण के थे ! 
 तीनों को संसार के निर्माण और पालन से संबंधित अलग-अलग कार्य सौंपे ! 
निराकार शिव परमात्मा 💥परम ज्ञानी , अति बलशाली ,ऊर्जा और शक्ति का पुंज हैं! उन्होंने 
ब्रह्मा को सृष्टि निर्माण का कार्य सौंपा !
विष्णु को उस सृष्टि के पालन का कार्य सौंपा !
अब जब सृष्टि बन गयी, उसका पालन होने लगा तो जीव बढ़ने लगे , शंकर को शिव ने सब जीवों में उनके पूर्ति बुद्धि देने का कार्य सौंपा था क्योंकि शिव ने देखा कि ब्रह्मा में कलात्मकता (क्रियेटिवीटी)अधिक है , विष्णु की छवि और बातें बेहद प्रेम पूर्ण और मोहक है उनमें बुद्धि चातुर्य बहुत ज्यादा है जबकि शंकर अत्यंत सुंदर, बेहद बुद्धिमान, क्रियेटिव और सर्व गुण सम्पन्न होते हुए भी अति भोले ,दयालु , प्रेम में सर्वस्व लुटा देने वाले हैं
। 
शास्त्रों में लिखा है कि जब ब्रह्मा को सृष्टि निर्माण का काम सौंपा गया तो वो घबरा गये कि शुरूआत कैसे करें??सृष्टि कैसे बनाऊं तब परमात्मा शिव ने शंकर की देह में प्रवेश कर उन्हें अर्धनारीश्वर रूप दिखाया और समझाया -"सबसे पहले एक नर और एक मादा बनाओ !प्रकृति और हर जीव के लिए यही सिद्धांत लागू होगा! " 
उसके पश्चात् ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण किया! 
शंकर देह में होते हुए भी परमात्मा शिव की तरह पूर्ण परिष्कृत, अविकारी और परम पवित्र थे ! इसीलिए 
शिव स्वयं अपने पुत्र शंकर से इतने अधिक प्रभावित थे कि उन्होंने घोषित कर दिया कि -"शंकर मेरी अनुपम कृति है इसके समान संसार में न कोई है न हो सकता है! न भूतो न भविष्यति ! मैं जब भी ज्ञान देना होगा शंकर की परम परिष्कृत देह को या मानव देह में जो पूर्ण अविकारी अवस्था को प्राप्त करता है उसे भी माध्यम बनाऊंगा !" 

किस प्रकार शिव ने समय समय पर मनुष्यों को ज्ञान दिया ये आगे के एपिसोड्स में बताऊंगी ! 

तो जब सृष्टि निर्माण हुआ, पालन होने लगा तो जीव जंतु बढ़ने लगे, पालन पोषण बढ़िया हो रहा था, कलाकार ब्रह्मा जोश में थे नित नई सुन्दर रचनाऐं हो रही थी जिससे पृथ्वी 🌍 पर जनसंख्या विस्फोट की स्थिति बनने लगी तब परमात्मा शिव ने कहा संहार या विनाश भी आवश्यक है! पर यह किस नियम के आधार पर होगा? 
विष्णु बोले- "कर्म का सिद्धांत बना दिया जाए जिससे जो जैसे कर्म करेगा वैसा ही फल पाएगा! "
सभी को विचार बहुत पसंद आया, तब से कर्म के सिद्धांत पर दुनिया चलती है। 
अब प्रत्येक जीव के कर्मों का प्रतिपल हिसाब रखना, उसके अनुसार उसकी मृत्यु, बिमारी,दुख, व्याधि देना अत्यंत दुष्कर कार्य था जिसके लिए शिव ने शंकर का चयन किया और विष्णु को सहयोगी बनाया क्योंकि ये सिद्धांत उनका ही बनाया हुआ था और इस संसार को प्रतिपल वो ही पाल रहे थे ! 
 
परिष्कृत, पवित्र, कल्याणकारी, भोले और अति दयालु होने से शंकर जब देखते कि एक जन्म में पापी मनुष्य दूसरे जन्म में बहुत भला,मेहनती,सेवा भावी है और कर्मों के कारण घोर कष्ट पा रहा है तो वे दृवित होते ,दुख से रो देते तब परमात्मा शिव ने इबादत , प्रार्थना, पूजा,भक्ति, प्रेम और प्रायश्चित का मार्ग बनाया जिसपर चलने वाले भक्त को भगवान, ईश्वर सत्य का धर्म का मार्ग दिखाते हैं जिससे वह जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है! 

*शैक्षिक ज्ञान* - परमात्मा शिव 💥की इस सुन्दर सृष्टि के आप एक अंश हैं और आपके प्रत्येक कार्य द्वारा ही आपके संपूर्ण जीवन के सुख-दुख, मृत्यु ,जरा व्याधि निर्धारित होती है अत: जीवन में प्रत्येक परिस्थिति में उत्तम कर्म करें ! 
सदैव ईश्वर का ध्यान करते हुए उनका शुक्र अदा करें ! 

*प्रामाणिकता* - समस्त ज्योतिर्लिंग, शिव परमात्मा का प्रतीक है। शिवलिंग ,निराकार ज्योति रूप परमात्मा शिव का और सृष्टि का प्रमाण है!  

*शिवम् सदा शुभम्*

अपर्णा "गौरी" शर्मा 🕉️

   17
6 Comments

वानी

16-Jun-2023 07:21 PM

खूब

Reply

madhura

16-Jun-2023 06:16 PM

nice

Reply

kashish

05-Jun-2023 10:21 AM

om namah shivay very nice story mam

Reply